बहती हूं मै ..
बहती हूं मै ..
बहती हूं मै झरनों के जैसे
दिल की जो बातें बहने को तरसे
कुछ मतलब सा.. होगा, न युंही
आंखे जो नमसी, ख़यालों में गु
गाने लगी है लेहरों के धुनसी..
कलीयों की मुस्कान, बहारोंसे अं
महरूम जैसे कुदरत से इन्सान
हवाओ में खुशबू जीने की महके
कानों में रातें शबनमसी गुंजे
कुछ पल जो ऐसे
महसूस हो दिलसे
बन जाऊं मैं एक.. नज़्म, फिरसे!
बहती हुं मै झरनों के जैसे
दिल की जो बातें बहने को तरसे..
संजीवनी
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